CDS GENERAL ANIL CHAUHAN बोले-‘युद्धकला में बड़ा बदलाव’: भारतीय सेनाएं अनुकूलन और सुधार के लिए प्रतिबद्ध
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ CDS GENERAL ANIL CHAUHAN ने आज स्पष्ट रूप से कहा कि भारतीय सशस्त्र बल बदलते सुरक्षा परिवेश के अनुरूप ढलने और परिचालन की दृष्टि से प्रासंगिक बने रहने के लिए सुधारों को आत्मसात करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि युद्ध और युद्धकला एक बड़े बदलाव (major revolution) की कगार पर है, जिसके लिए सेनाओं को तैयार रहना होगा।
जनरल चौहान आज हैदराबाद में एयर फ़ोर्स अकादमी, डुंडीगल, में 216वें कोर्स की संयुक्त ग्रेजुएशन परेड (CGP) की समीक्षा कर रहे थे।
CDS GENERAL ANIL CHAUHAN भारत की शक्ति: ‘जय’ सिद्धांत

जनरल चौहान ने कहा कि भारत की शक्ति मजबूत संस्थानों, लोकतांत्रिक स्थिरता और हमारे सशस्त्र बलों के अटूट व्यावसायिकता पर टिकी हुई है। उन्होंने नौजवान अधिकारियों को संबोधित करते हुए उन्हें ‘जय’ सिद्धांत के साथ आगे बढ़ने का आह्वान किया, जो “जय हिंद” के पहले शब्द से लिया गया है।
‘जय’ के मार्गदर्शक सिद्धांत का अर्थ:
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J (Jointness): संयुक्तता—एक राष्ट्र और एक बल के रूप में लड़ना।
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A (Atmanirbharta): आत्मनिर्भरता—भारत और दुनिया के लिए विश्वसनीय स्वदेशी प्लेटफॉर्म और प्रणालियों का निर्माण।
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I (Innovation): नवाचार—वक्र से आगे सोचने और आगे रहने का साहस।
सीडीएस ने जोर देकर कहा कि ये तीनों स्तंभ भारत की भविष्य की युद्ध शक्ति को आकार देंगे।
भविष्य के युद्ध और अनुकूलन
जनरल चौहान ने नए कमीशन प्राप्त अधिकारियों को ऐसे समय में वायुसेना में शामिल होने पर बधाई दी, जब सशस्त्र बल गहरे परिवर्तन के दौर से गुजर रहे हैं।
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आगामी संघर्ष का स्वरूप: उन्होंने कहा कि जहां पारंपरिक युद्ध क्षेत्र प्रतिस्पर्धी और क्रूर बने रहेंगे, वहीं उभरते हुए डोमेन (जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), स्वायत्त प्रणाली और संज्ञानात्मक युद्ध) में भविष्य के संघर्ष अधिक स्मार्ट, तेज और बुद्धि, नवाचार तथा पहल से संचालित होंगे।
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टेक्नोलॉजी बनाम भूगोल: उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि आधुनिक युद्ध क्षेत्र में जीवित रहने के लिए सबसे योग्य होना नहीं, बल्कि सबसे अनुकूलनीय होना महत्वपूर्ण है। उन्होंने संकेत दिया कि युद्धों में अब भूगोल नहीं, बल्कि तकनीक अधिक मायने रखती है।
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पूरे राष्ट्र का दृष्टिकोण: जनरल चौहान ने जोर देकर कहा कि प्रभावी और तालमेल भरी प्रतिक्रिया के लिए पूरे राष्ट्र के दृष्टिकोण (Whole of Nation Approach) की आवश्यकता है।
रक्षा सुधार और एकीकृत संरचना
सीडीएस ने एकीकृत ढांचे, संयुक्त अभियानों और रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर भारत की राष्ट्रीय पहल को रेखांकित किया, जो भारत की सैन्य क्षमता के भविष्य को आकार दे रहे हैं।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि ऑपरेशनों की तीव्रता भले ही कम हुई हो, लेकिन ‘ऑपरेशन सिंदूर’ एक नए सामान्य (new normal) के हिस्से के रूप में जारी है, जो साल के 365 दिन, 24/7 परिचालन तत्परता को दर्शाता है।
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