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बरेली हिंसा: धार्मिक जुलूस से उपद्रव तक, 82 गिरफ्तारियां और ड्रोन की नजर में फंसे उपद्रवी

बरेली हिंसा

उत्तर प्रदेश के बरेली शहर में हुई उस हिंसक घटना की, जो ‘आई लव मुहम्मद’ के नारे के साथ शुरू हुई एक शांतिपूर्ण लगने वाली रैली से बदलकर पूरे इलाके में तनाव का कारण बन गई। 26 सितंबर को शुक्रवार की नमाज के बाद जो कुछ हुआ, वो न सिर्फ स्थानीय समुदायों के बीच दरार डाल गया, बल्कि पुलिस की सख्त कार्रवाई का भी नया उदाहरण पेश कर गया। एसएसपी अनुराग आर्य के नेतृत्व में चल रही जांच में अब तक 82 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं, और ड्रोन कैमरों की मदद से और भी उपद्रवियों की पहचान हो रही है।

घटना की पृष्ठभूमि: ‘आई लव मुहम्मद’ का विवादास्पद जुलूस

सब कुछ 26 सितंबर 2025 को शुरू हुआ, जब बरेली के पुराने शहर में नौमहला मस्जिद और आला हजरत दरगाह के आसपास ‘आई लव मुहम्मद’ नामक एक जुलूस निकाला गया। यह जुलूस इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा खान ने आयोजित किया था। तौकीर रजा, जो खुद एक विवादास्पद धार्मिक नेता के रूप में जाने जाते हैं, ने इस जुलूस को एक धार्मिक संदेश के रूप में पेश किया। लेकिन जल्द ही यह जुलूस हिंसक हो गया। प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया, पुलिस पर हमला बोला, और कुछ जगहों पर आगजनी की कोशिश भी की।

इस हिंसा का ट्रिगर क्या था? कुछ रिपोर्ट्स के मुताबिक, जुलूस के दौरान लगाए गए बैनर और पोस्टरों पर आपत्ति जताई गई, जो धार्मिक संवेदनशीलता को छू गए। विपक्षी नेता जैसे कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने इसे मस्जिदों से राजनीतिक घोषणाओं का उदाहरण बताया, जबकि स्थानीय प्रशासन ने इसे ‘बाहरी तत्वों’ द्वारा भड़काए गए उपद्रव के रूप में देखा। परिणामस्वरूप, शुक्रवार की नमाज के तुरंत बाद स्थिति बेकाबू हो गई। पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा, और कई लोग घायल हुए।

हिंसा का दौर: क्या-क्या हुआ?

जुलूस के दौरान प्रदर्शनकारी पुलिस की ओर बढ़े, पत्थरबाजी की, और एक एंटी-रायट गन तक छीन ली गई। बरेली के कोतवाली और बारादरी इलाकों में तनाव चरम पर पहुंच गया। आला हजरत दरगाह जैसे पवित्र स्थल के आसपास भी हलचल मच गई। शुरुआती आंकड़ों के अनुसार, सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए थे, जिनमें से कई बाहरी राज्य जैसे बिहार और बंगाल से आए बताए जा रहे हैं।

मौलाना तौकीर रजा पर ‘मास्टरमाइंड’ होने का आरोप लगा, और 28 सितंबर को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। उनके करीबी सहयोगी भी निशाने पर आए। एक हफ्ते के अंदर पुलिस ने कई ‘एनकाउंटर’ किए, जिनमें आरोपी पैर में गोली लगने के बाद पकड़े गए। उदाहरण के तौर पर, 1 अक्टूबर को फतेहगंज पश्चिमी के नहर इलाके में मोहम्मद इदरीस उर्फ बोरा और इकबाल उर्फ बुंदन खान को गिरफ्तार किया गया। इनके पास से एंटी-रायट गन, देशी पिस्तौलें, कारतूस और बाइक बरामद हुई। इससे पहले, आईएमसी के जिला अध्यक्ष ताजिम को भी इसी तरह पकड़ा गया था।

पुलिस की सख्ती: 82 गिरफ्तारियां और ड्रोन की भूमिका

एसएसपी अनुराग आर्य ने स्पष्ट कहा है कि उपद्रव फैलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई जारी रहेगी। अब तक 82 लोग जेल पहुंच चुके हैं, जिनमें तौकीर रजा के करीबी जैसे डॉ. नफीस खान, उनके बेटे फरहान खान, शान, मोहम्मद नदीम, रिजवान, ताजिम और अमान हुसैन शामिल हैं। नदीम खान को मुख्य साजिशकर्ता बताया जा रहा है, जो प्रदर्शनकारियों को बुलाने का काम कर रहा था।

सबसे दिलचस्प हिस्सा है पुलिस की तकनीकी कार्रवाई। बरेली पुलिस ने 92 स्पष्ट फुटेज बरामद की हैं, जिनमें से 50 कोतवाली और बारादरी थानों से, और 42 साइबर पुलिस स्टेशन से ली गईं। एसएसपी आर्य ने खुद 150 सीसीटीवी कैमरों की रिकॉर्डिंग्स की समीक्षा की, और अब ड्रोन सर्विलांस को तैनात किया गया है। इन ड्रोन कैमरों से उपद्रवियों की पहचान आसान हो रही है – वीडियो में भीड़ को पत्थर और लाठियां लेते हुए, हमला करते हुए साफ दिखाया गया है। इससे करीब 3,000 अज्ञात आरोपी अभी भी निशाने पर हैं, और सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डालने वालों को भी ट्रैक किया जा रहा है।

पुलिस ने न सिर्फ गिरफ्तारियां कीं, बल्कि तौकीर रजा के सहयोगियों की 8 अवैध संपत्तियों को सील करने और बुलडोजर से ध्वस्त करने की कार्रवाई भी शुरू कर दी। तौकीर के भाई तौसीफ रजा ने अपील की कि मासूमों के घर न तोड़े जाएं और निर्दोषों को रिहा किया जाए। एक एसआईटी (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) पूरे मामले की जांच कर रही है।

शहर का माहौल: डर और सन्नाटा

आज 2 अक्टूबर को बरेली में तनाव कम है, लेकिन डर का साया अभी भी है। इस्लामिया मार्केट जैसे बाजारों में ग्राहक 30% कम हैं, दुकानें जल्दी बंद हो रही हैं। कई घर ताले लगे हैं, परिवार वाले डर के मारे बाहर नहीं निकल रहे। गिरफ्तारियों के बाद उनके परिजन जेल पहुंचने में भी हिचक रहे हैं। विपक्षी नेता जैसे यूपी कांग्रेस प्रमुख अजय राय और इमरान मसूद बरेली आने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन उन्हें रोका गया। स्थानीय लोग कहते हैं, “शांति चाहिए, लेकिन न्याय भी।”

उत्तर प्रदेश बरेली पुलिस की त्वरित कार्रवाई सराहनीय है

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