48 किग्रा वर्ग में शानदार प्रदर्शन और प्रेरणादायक वापसी
नॉर्वे, 3 अक्टूबर 2025 – भारतीय वेटलिफ्टिंग की धाकड़ खिलाड़ी मीराबाई चानू ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वे न सिर्फ वजन उठाती हैं, बल्कि पूरे देश का मान बढ़ाती हैं। विश्व वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप 2025 के उद्घाटन दिवस पर उन्होंने महिलाओं के 48 किग्रा वर्ग में कुल 199 किग्रा वजन उठाकर रजत पदक हासिल किया। यह उनकी पेरिस ओलंपिक 2024 के बाद की शानदार वापसी है, जो भारतीय खेल प्रेमियों के लिए एक बड़ी राहत और प्रेरणा का स्रोत बनी हुई है। तीन साल बाद विश्व चैंपियनशिप के पोडियम पर लौटकर चानू ने भारत को मेडल तालिका में जगह दिलाई, जो 2017 के बाद उनकी तीसरी विश्व चैंपियनशिप मेडल है।
मीराबाई चानू का प्रदर्शन: स्नैच और क्लीन एंड जर्क में क्या हुआ?
मीराबाई चानू ने स्नैच राउंड में मजबूत शुरुआत की। पहली कोशिश में उन्होंने 84 किग्रा वजन सफलतापूर्वक उठाया, जो इस वर्ग में कांस्य पदक के बराबर रहा। हालांकि, अगली दो कोशिशों में 87 किग्रा पर वे सफल नहीं हो सकीं। स्नैच में उनकी यह कमजोरी पुरानी रही है, जो पेरिस ओलंपिक में भी नजर आई थी। लेकिन क्लीन एंड जर्क में उन्होंने अपनी असली ताकत दिखाई। पहली लिफ्ट में 109 किग्रा, दूसरी में 112 किग्रा और अंतिम प्रयास में 115 किग्रा – यह आखिरी लिफ्ट निर्णायक साबित हुई। कुल 199 किग्रा (84+115) के साथ वे रजत पदक की दावेदार बनीं। यह लिफ्ट न सिर्फ उन्हें सिल्वर दिलाई, बल्कि चेजिंग ग्रुप से महज 1 किग्रा आगे रखा।
इस वर्ग में स्वर्ण पदक उत्तर कोरिया की री सॉन्ग-गुम ने जीता, जिन्होंने 213 किग्रा (91 किग्रा स्नैच + 122 किग्रा क्लीन एंड जर्क) वजन उठाकर नया विश्व रिकॉर्ड कायम किया। री ने तीनों गोल्ड मेडल (स्नैच, क्लीन एंड जर्क और टोटल) अपने नाम किए। कांस्य पदक थाईलैंड की थनयाथॉन सुकचारोएं को 198 किग्रा (88 किग्रा स्नैच + 110 किग्रा क्लीन एंड जर्क) के साथ मिला। मीराबाई चानू की यह जीत साबित करती है कि ओलंपिक चैंपियन अभी भी टॉप फॉर्म में हैं, भले ही उम्र 31 वर्ष हो चुकी हो।

मीराबाई चानू की चुनौतियां और वापसी की प्रेरणादायक कहानी
मीराबाई चानू का सफर आसान नहीं रहा। मणिपुर के फिल्लाग गांव में 8 अगस्त 1994 को जन्मीं साईखोम मीराबाई चानू ने गरीबी और सामाजिक बाधाओं के बीच वेटलिफ्टिंग को अपनाया। उनके पिता एक रिक्शा चालक थे, और बचपन में भाई-बहनों के साथ खेलते हुए उन्होंने ताकत हासिल की। 2013 में राष्ट्रीय स्तर पर डेब्यू करने वाली चानू ने जल्द ही अंतरराष्ट्रीय पटल पर छाप छोड़ी। टोक्यो ओलंपिक 2020 में 49 किग्रा वर्ग में रजत पदक जीतकर उन्होंने भारत को ओलंपिक वेटलिफ्टिंग में पहला मेडल दिलाया, जो 2000 सिडनी के बाद पहली बार था।
लेकिन चुनौतियां रुकीं नहीं। 2023 एशियन गेम्स में चोट के कारण वे बाहर हो गईं, और 2024 पेरिस ओलंपिक में चौथे स्थान (199 किग्रा: 88+111) पर रहने के बाद सवाल उठे। स्नैच में लगातार असफलताएं और बॉडी की पुरानी दिक्कतें उन्हें परेशान करती रहीं। लेकिन उनके कोच विजय शर्मा के मार्गदर्शन में उन्होंने कड़ी ट्रेनिंग की। अगस्त 2025 में अहमदाबाद में कॉमनवेल्थ वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में 193 किग्रा (84+109) उठाकर स्वर्ण जीता, जो ग्लासगो 2026 कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए क्वालीफिकेशन भी था। विश्व चैंपियनशिप में चीन की हाउ झिहुई की अनुपस्थिति ने मौका दिया, जिसका पूरा फायदा उठाया।
यह उनका विश्व चैंपियनशिप में तीसरा पदक है। 2017 में ऐनाहाइम (यूएसए) में 48 किग्रा में 194 किग्रा (85+109) के साथ स्वर्ण जीतकर वे कर्णम मल्लेश्वरी के बाद पहली भारतीय विश्व चैंपियन बनीं। 2022 में बोगोटा (कोलंबिया) में 49 किग्रा में 200 किग्रा (87+113) के साथ रजत हासिल किया। 2023 में चोट से बचने के लिए भाग नहीं लीं। कुल मिलाकर, चानू के नाम 3 विश्व चैंपियनशिप मेडल (1 गोल्ड, 2 सिल्वर) हैं, जो उन्हें भारत की सबसे सफल वेटलिफ्टर बनाते हैं।
मीराबाई चानू की प्रमुख उपलब्धियां: एक नजर
वर्ष | इवेंट | वर्ग | पदक | कुल वजन (किग्रा) |
---|---|---|---|---|
2014 | कॉमनवेल्थ गेम्स, ग्लासगो | 48 किग्रा | रजत | 170 |
2017 | विश्व चैंपियनशिप, ऐनाहाइम | 48 किग्रा | स्वर्ण | 194 |
2018 | कॉमनवेल्थ गेम्स, गोल्ड कोस्ट | 48 किग्रा | स्वर्ण | 192 |
2020 | टोक्यो ओलंपिक | 49 किग्रा | रजत | 202 |
2022 | कॉमनवेल्थ गेम्स, बर्मिंघम | 49 किग्रा | स्वर्ण | 200 |
2022 | विश्व चैंपियनशिप, बोगोटा | 49 किग्रा | रजत | 200 |
2024 | पेरिस ओलंपिक | 49 किग्रा | 4था स्थान | 199 |
2025 | कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप, अहमदाबाद | 48 किग्रा | स्वर्ण | 193 |
2025 | विश्व चैंपियनशिप, फोर्डे | 48 किग्रा | रजत | 199 |
यह तालिका चानू की यात्रा को दर्शाती है, जहां वे तीन बार की कॉमनवेल्थ गेम्स गोल्ड मेडलिस्ट और ओलंपिक सिल्वर विजेता हैं। भारत को विश्व चैंपियनशिप में अब तक 18 मेडल मिले हैं, सभी महिलाओं द्वारा, जिनमें 3 गोल्ड, 10 सिल्वर और 5 ब्रॉन्ज शामिल हैं।
प्रतिक्रियाएं और प्रेरणा: देश की नारी शक्ति

इस जीत पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, “मीराबाई चानू को विश्व वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप 2025 के 48 किग्रा वर्ग में रजत पदक जीतने पर हार्दिक बधाई! आप हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ देकर भारत का मान बढ़ाती रहती हैं।” बीजेपी नेता अमीत सताम ने ट्वीट किया, “वह न सिर्फ वजन उठाती हैं, बल्कि पूरे राष्ट्र का गौरव, लाखों सपनों और हर उभरते एथलीट की आशाओं को उठाती हैं।” स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट बोरीया मजूमदार ने नॉर्वे से इंटरव्यू का जिक्र करते हुए कहा, “वह सबसे विनम्र चैंपियनों में से एक हैं।”
मीराबाई की कहानी लाखों लड़कियों के लिए प्रेरणा है। उन्होंने कहा है (पुराने इंटरव्यू से प्रेरित), “बचपन में मेरे भाई-बहनों के साथ खेलते हुए मैंने ताकत सीखी। आज भी, हर असफलता मुझे मजबूत बनाती है।” उनकी मेहनत – रोजाना 6-8 घंटे ट्रेनिंग, डाइट कंट्रोल और मेंटल स्ट्रेंथ – युवाओं को वेटलिफ्टिंग में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करती है।
भारतीय वेटलिफ्टिंग टीम का मजबूत प्रदर्शन और भविष्य
भारतीय वेटलिफ्टिंग टीम इस चैंपियनशिप में शानदार फॉर्म में है। महिलाओं में कोयेल बार (53 किग्रा), बिंद्यारानी देवी (58 किग्रा), निरुपमा देवी (63 किग्रा), हरजिंदर कौर (69 किग्रा), वंशिता वर्मा (86 किग्रा) और मेहक शर्मा (86 किग्रा+) जैसे नाम उम्मीद जगाते हैं। पुरुषों में रिशिकांत सिंह (60 किग्रा), मुथुपंडी राजा (65 किग्रा), अजित नारायण (71 किग्रा), अजया बाबू वल्लूरी (79 किग्रा), अभिषेक निपाने (88 किग्रा), दिलबाग सिंह (94 किग्रा) और लवप्रीत सिंह (110 किग्रा+) मैदान संभालेंगे। कॉमनवेल्थ गेम्स कांस्य विजेता लवप्रीत हाल ही में कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज जीते।
यह पदक भारत को पदक तालिका में मजबूत जगह दिलाता है। मीराबाई ने ग्लासगो 2026 कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए क्वालीफाई कर लिया है। अब नजरें 2028 लॉस एंजिल्स ओलंपिक पर हैं, जहां वे स्वर्ण की दौड़ में होंगी। भारतीय वेटलिफ्टिंग महासंघ ने बधाई देते हुए कहा, “यह पदक पूरे देश का गौरव है और युवा पीढ़ी के लिए मिसाल।”
मीराबाई चानू – एक जीवंत प्रेरणा

मीराबाई चानू न सिर्फ एथलीट हैं, बल्कि नारी शक्ति की मूर्ति। छोटे गांव से निकलकर विश्व पटल पर चमकने वाली यह बेटी आज लाखों को सपने बुनने की हिम्मत दे रही है। पेरिस ओलंपिक की निराशा से उबरकर नॉर्वे में रजत जीतना साबित करता है कि हार से सीखना ही असली जीत है। खेल प्रेमी उम्मीद करते हैं कि यह फॉर्म लंबे समय तक बरकरार रहे। मीराबाई का सफर अभी जारी है – और यह भारत के खेल इतिहास का सुनहरा अध्याय बनेगा।